मातृ दिवस (Mother’s Day) मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई ?
मातृ दिवस (Mother’s Day) का इतिहास विश्वभर में विभिन्न संस्कृतियों और देशों में पाया जाता है, और यह अपने मातृ तत्व की प्रशंसा और मातृभूमि की महत्त्वाकांक्षा के लिए मनाया जाता है। इस दिन पुत्र-पुत्री अपनी माताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं।
मातृ दिवस का आदि संबंध अर्चेमेडिया, ग्रीस, और रोमन संस्कृतियों में देखा जा सकता है, जहां मातृ पूजा की जाती थी। इन संस्कृतियों में मातृ दिवस के आयोजन में माताओं के गौरवभास का ध्यान दिया जाता था।
धार्मिक परंपराओं के अलावा, मातृ दिवस का सबसे प्रमुख आधार आधुनिक मातृत्व मानवाधिकारों के आंदोलन में पाया जा सकता है। मातृत्व के महत्त्व को उजागर करने के लिए एक समाजशास्त्री और नारीवादी ने मातृ दिवस के आयोजन की पहल की थी।
मातृ दिवस मनाने की परंपरा सबसे पहले कहा से शुरू हुई ?
मातृ दिवस को सबसे पहले अमेरिका में 1908 में जर्नेक्स जर्नेके (Anna Jarvis) द्वारा मनाया गया था। उन्होंने इस दिन को अपनी माताजी की स्मृति में मनाने का प्रस्ताव रखा था। जल्द ही यह आन्दोलन अमेरिका भर में फैला और उसने मातृभूमि की महत्त्वाकांक्षा के साथ सम्बंधित विभिन्न संस्थाओं को प्रभावित किया।
1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने आधिकारिक रूप से मातृ दिवस को स्थायी रूप दिया और उसे जून माह के दूसरे रविवार के रूप में मनाने का निर्णय लिया। हालांकि, बाद में यह दिन फरवरी माह के दूसरे रविवार को भी स्थायी रूप दिया गया है।
Also Read:- अयोध्या का धार्मिक महात्म्य – RELIGIOUS SIGNIFICANCE OF AYODHYA
मातृ दिवस अब विश्वभर में मनाया जाता है, और इसे भिन्न-भिन्न दिनों में अलग-अलग देशों में मनाया जाता है। मातृ दिवस के अवसर पर लोग अपनी माताओं के प्रति अपने आभार और प्रेम का व्यक्त करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं, और उन्हें सम्मानित करते हैं।