अयोध्या राम मंदिर का विवाद एवं इसका इतिहास – Controversy and history of Ayodhya Ram temple
CONTROVERSY AND HISTORY OF AYODHYA RAM TEMPLE
सनातन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ रामायण के अनुसार अयोध्या को हिन्दू धर्म की पवित्र नगरी प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली माना जाता है। अयोध्या एक धार्मिक नगर है। इस नगरी का उल्लेख बड़े-बड़े महाकाव्यों में भी किया गया है।
रामायण के अनुसार भगवान राम ने त्रेता युग में अधर्म, अन्याय एवं आतंक का विनाश करने एवं मनुष्य की रक्षा करने के लिए के लिए यहाँ के महाराजा दशरथ के घर जन्म लिए थे। उस समय यहाँ के राजा महाराज दशरथ जी थे।
अयोध्या को हिन्दुओं के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना गया है, जिसकी स्थापना मनु ने की थी। वेदों में इसे ईश्वर की नगरी भी बताया गया है। यहाँ कई धर्मो की आस्था जुडी है। जैन मत के मुताबिक यहां प्रमुख तीर्थकर अनंतनाथ जी, अभिनंदनाथ, सुमतिनाथ, ऋषभनाथ, अजितनाथ, का जन्म हुआ था। इसके साथ ही भगवान राम की जन्मस्थली होने की वजह से भी इस नगरी का अत्यंत महत्व है।
चैत्र महीने की नवमी को पूरे भारत वर्ष भर में भगवान श्री राम के जन्मदिन के रुप में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
अयोध्या में कई वर्षों तक भगवान श्री राम ने शासन किया और लोगों को प्रेम, दया, भाईचारा एवं मानवता का पाठ पढ़ाया। इसके बाद सरयू नदी में समाहित होकर उन्होंने अपने मानव शरीर का त्याग कर दिया था।
1527 में मुगल वंश के संस्थापक बाबर के आदेश पर उनके सेनापति मीर बांकी ने अयोध्या में रामजन्म भूमि पर बने भगवान राम के मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। जो बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा जिसकी वजह से काफी हिंसा हुई यहां तक की कई लोगों को जान गंवानी पड़ी।
इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हुईं, जिससे हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़के और फिर इसके बाद इस स्थल को लेकर लगातार विवाद बढ़ता चला गया, कई साल तक कोर्ट में केस चला, जिसके बाद 5 अगस्त, 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्धारा अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य् राम मंदिर के निर्माण की नींव रख इतिहास रचा। इस दिन लोगों ने अपने घरों में दीप जलाकर उत्साह प्रकट किया। तो आइए नजर डालते हैं राम मंदिर के विध्वंस से इसके शिलान्यास तक के संपूर्ण इतिहास पर-
अयोध्या श्री राम मंदिर – Ayodhya Ram Mandir
इतिहासकारों की मानें तो पहले अयोध्या नगरी, कोसल राज्य की राजधानी थी, गौतमबुद्ध के समय कोसल के दो हिस्से हो गए थे, उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी।
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भगवान राम की नगरी अयोध्या को भगवान श्रीराम के पूर्वज सूर्य के पुत्र मनु ने बसाया था, तभी से इस धार्मिक नगरी पर सूर्यवंशी राजाओं का राज रहा है, यह शासन महाभारतकाल तक रहा। वहीं यहीं पर अयोध्या के राजा दशरथ के महल में भगवान श्री राम ने जन्म लिया था।
अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि अयोध्यानगरी में एक ऐसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था, जिसे हिन्दू अपने आराध्य देव भगवान राम की जन्मस्थली मानते हैं।
मुगल शासक 1526 में भारत पर शासन करने के लिए आया था, एवं 1528 तक उसने अवध (अयोध्या) साम्राज्य की स्थापना की थी।
पुरातत्विक विभाग द्वारा किए गए सर्वे में बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर होने के संकेत मिलने का दावा किया था।
पुरातत्विक विभाग के खोजकर्ताओं को जमीन के अंदर दबे खंभे और अन्य भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह के आधार पर यहां मंदिर होने के सबूत मिले हैं।
यही नहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और स्थिर चित्रण किया गया। इसके अलावा यहां एक-एक शिव मंदिर होने का भी दावा किया गया था।
आखिर क्या है अयोध्या विवाद एवं इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य – Facts about Ram Mandir in Ayodhya
अयोध्या राम मंदिर विवाद कई बर्षों पुराना है, अयोध्या यह कई सालों तक सियासी मुद्दा बना रहा, जिसके दम पर कई राजनैतिक पार्टियों ने धर्म के आधार पर अपने वोटर्स को लुभाकर अपनी पार्टी मजबूत की है।
वहीं जब से बाबर ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। इसकी वजह से काफी हिंसा हुई और कई लोगों की जाने गयी थी।
बाबर ने मंदिर तोड़कर करवाया था मस्जिद का निर्माण (1528-1529) – Babri Masjid
कुछ जानकारों के अनुसार श्री राम की जन्मभूमि मानी जाने वाली अयोध्या में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया था, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाता है। साल 1853 में जब निर्मोही अखाड़ा ने मस्जिद वाली जगह पर मंदिर होने का दावा किया। साथ ही बाबर के कार्यकाल में मंदिर तोडऩे की बात कही तब अयोध्या में पहली बार हिन्दू-मुस्लिम हिंसा भड़क गई। फिर 1859 में ब्रिटिश शासकों ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी। इस परिसर के बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई। अयोध्या राम मंदिर एवं मस्जिद विवाद बर्ष 1885 में पहली बार कोर्ट में पहुंचा। इसके तहत हिंदू महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी। जिसके बाद कोर्ट ने उनकी अपील ठुकरा दी इसके बाद यह विवाद और अधिक गंभीर होता चला गया।
असली विवाद आजादी के बाद 1949 से हुआ शुरु – Ayodhya Ram Mandir Controversy
3 दिसंबर 1949 को, भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। जिस पर मुस्लिमों ने रात में चुपचाप यहां मूर्तियां रखवाने का आरोप लगाया, जबकि हिन्दुओं ने भगवान राम के प्रकट होने की बात कही।
इसके बाद दोनों ही समुदाय के लोगों ने कोर्ट में केस दायर किया। फिर सरकार ने इसे विवादित स्थल घोषित कर ताला लगवा दिया।
जिसके बाद उस वक्त के सिविल जज एन. एन. चंदा ने यहां पूजा करने की इजाजत दे दी। हालांकि, मुसलमानों ने इस फैसले के खिलाफ अर्जी दायर की थी।
साल 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिन्दुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दे दिया।
जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।
साल 1992 में बीजेपी, वीएचपी, शिवसेना समेत अन्य हिन्दू संगठनो्ं एवं हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, जिसके चलते हिन्दू मुस्लिम दंगे भड़क गए, इन संप्रदायिक दंगों में हजारों लोगों की जान चली गई।
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साल 1994 में बाबरी मस्जिद को ढहाने के लिए हाईकोर्ट में केस चला और 1997 में इस मामले में बीजेपी पार्टी के कुछ बड़े नेता समेत 47 लोगों को दोषी ठहराया गया।
अयोध्या विवाद की वजह से हो रही हिंसा को देखते हुए साल 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अयोध्या समिति का गठन किया।
इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य की घोषणा की। फिर इसके बाद हजारों हिन्दू कार्यकर्ता अयोध्या में इकट्ठे हुए एवं गोधरा कांड को अंजाम दिया गया, हिन्दू कार्यकर्ता जिस ट्रेन से लौट रहे थे। उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ताओं की जान चली गई।
साल 2005 में जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें 5 आंतकी समेत 6 लोग मारे गए।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2017 में आपसी सहमति से अयोध्या विवाद सुलझाने की बात कही।
16 अक्टूबर, 2019 में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रखा गया।
9 नवंबर, साल 2019 में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि, विवादित जमीन को रामलला यानि की राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया जाए और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
कई सालों तक चले लंबे विवाद के बाद, 5 अगस्त, साल 2020 में अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर का शिलान्यास कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इतिहास रचा। इस दौरान पूरे देश में खुशी का महौल देखने को मिला। यह पल समस्त भारतवासी के लिए गौरवमयी रहा। राम मंदिर के निर्माण को लेकर न सिर्फ कई सालों तक कोर्ट में केस चला बल्कि यह भारतीय राजनीति का एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा।