ऐसे थे हमारे महान देशभक्त बिज़नस टाइकून रतन टाटा जी !!!

मुम्बई में 26/11/2008 को कसाब उसके साथी राक्षसों ने खून की होली खेली ! जो चाहा, किया…166 लाशें बिछा दीं… कई आईपीएस अधिकारियों को उड़ा दिया… सैकड़ों घायल हुए… देश मर्माहत और अपमानित हुआ… देश की व्यापारिक राजधानी कलंकित हुई… देश मे रह रहे स्लीपर सैलों ने 26/11 के दानव डेविल हेडली उर्फ दाऊद गिलानी को एक वर्ष पूर्व शरण दी थी, मकान दिलवाया… रेकी करवाई… माना जाता है कि इस षड्यंत्र में एक फ़िल्म डायरेक्टर और उसका बेटा भी शामिल था….

     बहरहाल होटल ट्राइडेंट, होटल ताजमहल, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस (यहूदियों का निवास) खून पीने वाले पाकिस्तानी राक्षसों के सबसे बड़े शिकार बने ! आतंकियों ने ताजमहल होटल को 60 घँटे तक कब्ज़े में रखा... लगभग 80 लोग अकेले ताजमहल होटल में ही मारे गए... होटल के बहुत बड़े हिस्से में आग लगा दी गई... होटल के अनेक स्टाफ मारे गए... होटल को 300 करोड़ रु की हानि हुई। !! 

      होटल टाटा समूह का था,जिसके मालिक रतन टाटा थे ! विनाश के बाद पुनः निर्माण प्रारम्भ होना था, नियमानुसार भारत सरकार को ताज होटल के पुनर्निर्माण का पूरा व्यय उठाना था,लेकिन रतन टाटा ने निश्चित किया कि सरकार से एक पैसा वह नहीं लेंगे... स्वयं टाटा परिवार यह नुकसान वहन करेगा... 
    पुनर्निर्माण के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय निविदाएं (टेंडर) मांगी गईं... पूरे विश्व से आये टेंडरों के साथ, पाकिस्तान के एक मुस्लिम की कम्पनी ने भी टेंडर डाला ! रतन टाटा ने निर्णय लिया कि सैकड़ों करोड़ का यह कार्य किसी भारतीय कम्पनी से ही कराया जाएगा....

लेकिन…
तत्कालीन सरकार के एक केंद्रीय मंत्री ने रतन टाटा को फोन करके दवाब डाला कि ताजमहल होटल का कार्य पाकिस्तान की उसी कम्पनी से कराया जाए ,जिसने सबसे कम कीमत का टेंडर डाला है…

    रतन टाटा, उक्त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री की कुचेष्टा और गद्दारी पर भौचक्के रह गए और उन्होंने उक्त मंत्री को पाकिस्तानी कम्पनी से कार्य कराने से इनकार कर दिया... मगर वह मंत्री अत्यंत प्रभावशील था, उसने पुनः रतन टाटा से संपर्क किया ! रतन टाटा वैसे बहुत सौम्य और विनम्र थे... लेकिन उस दिन वह फट पड़े और कहा कि " आप देश के प्रति गद्दार हो सकते हैं, आप बेशर्म हो सकते हैं,जिस मुल्क ने मुम्बई पर शर्मनाक हमला किया उसी मुल्क की कम्पनी को आप ताजमहल होटल में सैकड़ों करोड़ का कार्य दिलाकर देश के साथ गद्दारी नहीं कर रहे हैं ? "....

(इस वृतांत का उल्लेख स्वयं रतन टाटा ने एक साक्षात्कार में किया था)

     मंत्री तत्कालीन सत्ता का फंड रेज़र था,किचिन केबिनेट का मेम्बर था,मगर उस दिन रतन टाटा का उग्र रूप देखकर भौचक्का रह गया... मंत्री जी को भागने में ही भलाई नज़र आई !! 

       ऐसे थे अपने रतन टाटा ! रतन टाटा की देशभक्ति की दर्जनों सच्ची कहानियां हैं, जमशेद जी टाटा परिवार ने... और अंतिम सांस तक रतन टाटा ने देश को जिस ऊँचाई तक पहुचाया, उसके लिए देश उनका सदैव नमन करता रहेगा,ऋणी रहेगा !!... सच्ची हार्दिक श्रद्धाजंलि !!

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